Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business
Aa
  • Home
  • Almora Distt
    • History
    • Tourist Places
    • Imp Contacts
    • Culture
  • Blog
  • Uttarakhand
  • Nainital
  • PopcornTrip
Reading: ब्राइट एन्ड की एक शाम
Share
Aa
Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business
  • Home
  • Almora Distt
  • Blog
  • Uttarakhand
  • Nainital
  • PopcornTrip
Search
  • Home
  • Almora Distt
    • History
    • Tourist Places
    • Imp Contacts
    • Culture
  • Blog
  • Uttarakhand
  • Nainital
  • PopcornTrip
Have an existing account? Sign In
Follow US
Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business > Blog > Contributors > Almora > ब्राइट एन्ड की एक शाम
An evening at bright end
AlmoraContributorsStory

ब्राइट एन्ड की एक शाम

Anshuman Pant
Last updated: 2020/09/03 at 4:17 PM
Anshuman Pant Published April 19, 2020
Share
SHARE

बात कुछ वर्ष पुरानी है, अपने कॉलेज के दिनों में, एक शाम मित्र और मैं ब्राइट एंड कार्नर (विवेकानंद कार्नर) से वापस लौट रहे थे, रात का अँधेरा, शाम की धुंधले को ढकने का था और सामने दिख रही अल्मोड़ा की पहाड़ियां रोशनी से जगमगाने लगी थी। हमारे लिए समय था – घर वापस पहुंचने का।

आकाशवाणी के पास पहुंचे ही कि – सड़क के दूसरी ओर विपरीत दिशा में से आ रही एक लड़की सिसकती हुई, तेज क़दमों से जाते दिखी।

अँधेरे में सुनसान रोड से लड़की का अकेले जाना, उस दौर में, और वह भी सिसकते हुए, यह एक असामान्य सी घटना थी, क्योकि आकाशवाणी के बाद में सड़क से नीचे की कुछ ही मकान थे और उसके बाद सुनसान अँधेरी जंगल से घिरी सड़क।

वह विपत्ति में थी, या यह हमारा भ्रम, जानने के लिए वापस मुड़े, और विवेकानंद कार्नर के तिराहे के बाद के मोड़ में कुछ दूरी बनाकर हमने – वहां से गुजरते वाहनों हेडलाइट की रौशनी से देखा तो – नजर आया एक सुजा हुआ चेहरा और और भीगी आँखे।

हमने  उसके पूछा – वह इस तरह इतने अंधेरे और सुनसान में इस जंगल की ओर क्यों जा रही है? शायद उसे पता न हो, सोचकर हमने उसे बताया कि – आगे सुनसान सड़क है। और यहाँ कोई रात को नहीं घूमता।

अनमने भाव से वह बिना जवाब दिए वह चलती रही – जैसे हमें सुना ही न हो, हमारे दोबारा पूछने पर – उसने रुआँसी और कमजोर आवाज़ में जवाब दिया  कि – उसे किसी की जरुरत नहीं, उसे अकेला छोड़ दें।

हमने उसे आगाह किया कि – इस समय उस वीराने में चलना खतरनाक हो सकता है, जंगली जानवर उसे अपना शिकार बना सकते हैं और अनजान ट्रक्स भी यहाँ से गुजरते हैं।

उसके प्रतिक्रियाहीन भाव देख, उसे ढ़ाढ़स दिया कि – हम अपने भाई की तरह समझे, अकेले जंगल की ओर न जाए और उसे कोई मदद चाहिए तो हमें बताये। उसका घर कहाँ हैं? हम उसे उसके घर तक छोड़ सकते हैं।

वह किसी तरह वापस जाने को तैयार न थी, बहुत पूछने पर हमने इतना पता चला कि उसकी सौतेली माँ हैं, जो उसे अक्सर प्रताड़ित करती है, इसलिए वो अब नहीं जीना चाहती और घर तो बिल्कुल नहीं जाएगी।

हमने उसे समझाने की कोशिश कि – आवेश में कोई निर्णय न ले, इस तरह वो किसी मुसीबत में पड़ सकती है, लेकिन आखिर थे तो हम अजनबी और इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए नितांत अव्यवहारिक।

मोबाइल तब तक अल्मोड़ा में आरम्भ नहीं हुए थे, उस से उसके घर का लैंडलाइन नंबर जानने की असफल कोशिश की।

उस विचित्र परिस्थिति में जब मित्र को और मुझे अपने – अपने घरों को पहुंचने को देर हो रही थी, और दुविधा में थे कि उसे उसके , हाल में छोड़कर वापस चल दें या मदद के लिए आगे बढ़ें? वह भी तब, जब वह कोई सहयोग लेना ही नहीं चाहती।

वह कर्बला की तरफ बढ़ती जा रही थी, कर्बला तिराहे के पास तब कुछ गिनी चुनी दुकाने थी, एक दुकान से पानी लेकर उसे दिया, हम नहीं चाहते थे कि उसकी निजी परेशानी को सार्वजनिक चर्चा, अफ़वाहों, शब्दबाणों अथवा व्यंग का विषय बने, इसलिए दुकानदार को बताया कि – वह हमारी बहन है उसकी तबियत ठीक नहीं है।

वह शायद हमारे साथ सहज महसूस न रही हो, इस ख्याल से, हमने उसे प्रस्ताव दिया कि – उसे ऑफिसर कॉलोनी से थोड़ा ऊपर रहने वाले मित्र के घर, उसकी माताजी के पास ले जाये, जहाँ वह अपनी परेशानी बता सकती है। (जिससे वह सुरक्षित अपने घर पहुंच सके।)

अब तक के हमारे व्यवहार से या अपनी मज़बूरी से उसने मित्र की माताजी के पास ले जाने के प्रस्ताव पर सहमति जताई।

करबला से धारानौला रोड पर चलने वाली एक शेयर्ड टैक्सी द्वारा हम टैक्सी अफसर कॉलोनी पहुंचे, जहाँ से मित्र के घर के लिए रास्ता जाता था, अँधेरे में कुछ मकानों से आती रोशनी के बीच में चढाई चढ़ते हुए कुछ सीढिया ऊपर चलने के बाद, पता नहीं किस कारण उसने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया, और वापस धरनौला रोड में उतर आयी, अब हमें झुंझलाहट होने लगी। लेकिन इस परिस्थिति में उसे अकेले छोड़ना सुरक्षित नहीं था। अफसर कॉलोनी, जो धरनौला रोड से लगी हुई है, जहाँ मित्र की दीदी रहा करती थी, मित्र को ख्याल आया कि – वो शायद इस असावधान और असंयत लड़की को समझा पाएं।

मित्र अपनी दीदी को बुलाने के लिए, जो सड़क से थोड़ा ऊपर एक कॉलोनी में रहती थी, चला गया। वह वहां रुकना नहीं चाहती थी,  तभी अँधेरे में सीढ़ियों से उतरते दो लोग नज़र आये – एक लम्बा चौड़ा, सांवला दिखने वाला, दूसरा उसके ठीक उलट दुबला – पतला,छोटे कद का, मुझे लगा – वो लड़की को समझाने में मदद कर सकते हैं, मैनें मदद के लिए उन्हें आवाज़ दी, और एक साँस में कर्बला से यहाँ तक आने की कहानी सुना दी।

इससे पहले मेरी बात पूरी होती होती, वह ऊँची आवाज़ में चिल्लाया – **** (आपत्तिजनक शब्द) लड़की को भगा कर आया है, एक अप्रत्याशित दोषारोपण, उसके इन शब्दों से आवेश में प्रतिक्रिया स्वरूप मैं भी तीव्र प्रतिरोध करते हुए उस पर उस पर चीख पड़ा।

उसने अपने साथ खड़े – दूसरे दुबले व्यक्ति को पुलिस और मीडिया को फ़ोन करने को कहा। उस आदमी के मस्तिष्क से उपजे शब्दबाण, मुँह से अभी निकल ही रहे थे कि – मित्र अपनी दीदी के साथ वहां पंहुचा।

उस आक्रामक व्यक्ति ने इसके बाद दीदी पर भी आरोप लगाने शुरू कर दिए। सख्त प्रतिवाद और और अवहेलना कर, हम दीदी के साथ कॉलोनी स्थित उनके घर पहुंचे और पूरी घटना की जानकारी दी। हमारे लिए यह और भी क्षोभ और दुःख का विषय था हमारी वजह से भी दीदी को भी अशिष्ट व्यवहार सहना पढ़ा।  

पीछे वो दो व्यक्ति भी शोर करते हुए कॉलोनी में पहुंच गए, कॉलोनी के कई लोग इकट्ठे हो गए, एक ओर दीदी सहित पूरी स्थिति जानने के बाद कॉलोनी के लोग, और दूसरी और वह आक्रमक व्यक्ति। जिसके बारे में में पता चला – कि किसी राजनीतिक दल का कोई नेता है, जिसके लिए शराब पी कर लोगों से मारपीट और उपद्रव करना मोहल्ले में आम बात है। जो अपनी और से हमें लगातार धमकी देने में लगा था – जेल जाओगे, अख़बार में नाम, तस्वीर छपेगी … । मैं और मेरा मित्र इस अकल्पनीय स्थिति से हतप्रभ थे।

उसकी सुचना पर पुलिस के कुछ लोग आये – हमने उनके तीखे सवालों का सामना किया।

इस बीच, दीदी द्वारा उस लड़की से घर का नंबर ले, फ़ोन किया चूका था, लड़की के पिता ने फोन पर बताया कि – लड़की की मानसिक हालत ठीक नहीं है, और वो उसे लेने आ रहे थे। इस बीच का घटनाक्रम अत्यंत तनाव भरा था।

खैर लड़की के पिता वहां पहुंचे, लड़की ने किसी तरह के दुर्व्यवहार की शिकायत नहीं की, इस अप्रिय घटनाक्रम का अंत हुआ, इस सब में रात के 10- 11 बज गए थे। कुछ घंटों में ही दुनियादारी का एक ऐसा सबक सीख चुके थे, जो अब तक की हमारी किताबी शिक्षाओं में नहीं था।

मोहल्ले के सभी भद्रजनो, ने महत्वपूर्ण हिदायत दी – कि “काम तो अच्छा किया, लेकिन, आगे से मत करना“, कई दिनों तक हम इस हिदायत के निहितार्थ तलाशते रहे।

AlmoraOnline.com में पढ़ने के लिए धन्यवाद, अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराइयेगा।

Login AlmoraOnilne.com with Facebook

पोस्ट के अपडेट पाने के लिए अल्मोड़ा ऑनलाइन Whatsapp से जुड़ें


Click here

Anshuman Pant September 3, 2020 April 19, 2020
Share This Article
Facebook Twitter Email Print
Leave a comment

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

You Might Also Like

मिर्ज़ा साब कैफ़े वाले…

किसी के प्यार में वर्ना (वर्मा) टैनी होना…

लाल बहादुर दाई उर्फ़ हनुमान…

इकबाल नाई उर्फ़ बबाल भाई…

अल्मोड़ा में साह जी का त्रिशूल होटल और नंदू मैनेजर

About

AlmoraOnline
Almora's Travel, Culture, Information, Pictures, Documentaries & Stories

Subscribe Us

On YouTube
2005 - 2023 AlmoraOnline.com All Rights Reserved. Designed by Mesh Creation
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?