Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business
Aa
  • होम
  • अल्मोड़ा जनपद
    • इतिहास
    • दर्शनीय स्थल
    • फोन/ संपर्क
    • Culture
  • ब्लॉग
  • गैलरी
    • तस्वीरें
Reading: देवीधुरा बग्वाल मेला (वीडियो)
Share
Aa
Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business
  • होम
  • अल्मोड़ा जनपद
  • ब्लॉग
  • गैलरी
Search
  • होम
  • अल्मोड़ा जनपद
    • इतिहास
    • दर्शनीय स्थल
    • फोन/ संपर्क
    • Culture
  • ब्लॉग
  • गैलरी
    • तस्वीरें
Have an existing account? Sign In
Follow US
devidhura temple
Almora

देवीधुरा बग्वाल मेला (वीडियो)

Suneeta Pandey
Last updated: 2021/10/10 at 5:21 AM
Suneeta Pandey Published March 19, 2018
Share
SHARE

उत्तराखंड प्रसिद्ध है अपनी प्राकर्तिक सुन्दरता , वन संपदा, कला-संस्कृति, जलवायु ,वन्य जीवन,गंगा , अलकनंदा, सरयू, जैसी नदियों के उदगम स्थल के लिए , और यह स्थित धार्मिक स्थलों से जिस वजह से इसे देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है।

आज हम है उत्तराखंड के चम्पावत जिले के देवीधुरा में, देवी धुरा जहाँ माँ बारही देवी का मंदिर है और जो प्रसिद्ध है प्रतिवर्ष रक्षा बंधन को आयोजित होने वाले पत्थर मार मेले के लिए ।
विडियो में आप देवी धुरा से कुछ मुख्य स्थानों की दुरी देख सकते है।
देवीधुरा दिल्ली से लगभग 383 के. मि.,चम्पावत से  55 के. मि., टनकपुर से 127 के.मि., नैनीताल से 96 के.मि., अल्मोड़ा से 79 के.मि., हल्द्वानी से देवीधुरा के लिए काठगोदाम, भीमताल, धानाचूली, ओखलकांडा होते हुए दुरी 108 के. मि. है।
यहाँ का मौसम अन्य पहाड़ी इलाकों की तरह मिला जुला ही रहता है, सर्दियों के मौसम में यह बर्फ b गिरती है और गर्मियां गुनगुनी रहती है।

ये मार्ग है देवीधुरा बाजार माँ बाराही देवी मंदिर की ओर सड़क थोडा संकीर्ण है। सड़क के दोनों ओर दुकाने और घर हैं, देवीधुरा सुमद्रतल से लगभग 6600 फिट की ऊँचाई पे बसा हुआ है।



माँ बारही के समीप ही सड़क से लगा हुआ हनुमान मदिर, अब हम देवीधुरा  मदिर के प्रवेश द्वार पर पहूँच चुके हैं। मंदिर को जाने के मार्ग पर स्थित दुकानों में  आपको पूजन सामग्री मिल जाती हैं।
ये मंदिर के सामने का मैदान जहाँ हर वर्ष पत्थर युद्ध जिसे बग्वाल कहा जाता है का आयोजन किया जाता है।
श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन जहाँ समस्त भारतवर्ष में रक्षाबंधन पूरे हर्षोल्लास के साथ बहनों का अपने भाईयों के प्रति स्नेह और विश्वास के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है वहीं हमारे देश के  इस स्थान पर इस दिन सभी बहनें अपने अपने भाइयों को युद्ध के लिये तैयार कर, युद्ध के अस्त्र के रूप में उपयोग होने वाले पत्थरों से सुसर्जित कर विदा करती हैं।

इस पत्थरमार युद्ध को स्थानीय भाषा में ‘बग्वाल’ कहा जाता है। यह बग्वाल कुमाऊँ की संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। देश विदेश के हज़ारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करने वाला पौराणिक, धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल देवीधुरा अपने अनूठे तरह के पाषाण युद्ध यानी पत्थरों द्वारा युद्ध आयोजन के लिये पूरे भारत प्रसिद्ध है।

देवीधुरा मेले की एतिहासिकता कितनी प्राचीन है इस विषय में जानकारों के मतभेद है , कुछ इतिहासकार इसे आठवीं-नवीं सदी से प्रारम्भ मानते हैं। यहाँ के लोगों के अनुसार  पौराणिक काल में चार खामों के लोगों में आराध्या बाराही देवी को मनाने के लिए नर बलि देने की प्रथा थी और ये चार खाम हुआ करते हैं गहरवाल, चम्याल, वालिक और लमगड़िया। एक बार बलि देने की बारी चम्याल खाम में एक वृद्धा के परिवार की थी। परिवार में उसका एक मात्र पौत्र था। वृद्धा ने पौत्र की रक्षा के लिए मां बाराही की स्तुति की तो खुश होकर मां बाराही ने वृद्धा को दर्शन दिये। तदनुसार देवी से स्वप्न में दिए निर्देशानुसार ये विकल्प निकला की भविष्य में पत्थर युद्ध का आयोजन किया जायेगा और यह खेल तब तक जारी रहता है  जब तक खेल के दौरान सामूहिक रूप से एक व्यक्ति के शरीर के रक्त के जितना रक्त न बह जाए।
एक दूसरे पर पत्थर  फेंकने वाले प्रतिभागी बग्वाल खेल के दौरान अपनी आराध्य देवी को खुश करने के लिए यह खेल खेलते हैं।

इस पाषाण युद्ध में चार खामों के दो दल एक दूसरे के ऊपर पत्थर बरसाते है बग्वाल खेलने वाले अपने साथ बांस के बने फर्रे पत्थरों को रोकने के लिए रखते हैं।



हालांकि पिछले कुछ सालों से पत्थरों की वजाय फल और फूलों का ज्यादा प्रयोग किया जाता है पर फिर भी पत्थर मारने की प्रथा  अभी भी जारी है।
मान्यता है कि बग्वाल खेलने वाला व्यक्ति यदि पूर्णरूप से शुद्ध व पवित्रता रखता है तो उसे पत्थरों की चोट नहीं लगती है। सांस्कृतिक प्रेमियों के परम्परागत लोक संस्कृति के दर्शन भी इस मेले के दौरान होते हैं। पुजारी को जब अंत:करण से विश्वास हो जाता है कि एक मानव के रक्त के बराबर खून बह गया होगा तब वह केताँबें के छत्र और चँबर  साथ मैदान में आकर शंख बजाकर बगवाल सम्पन्न होने की घोषणा करता है । समापन पर दोनों ख़ामो के लोग आपस में गले मिलते हैं।
श्रद्धालु मेले में पूरी श्रद्दा और हर्ष उलास के साथ समलित होते है। मेले के दौरान यहाँ अनके प्रकार के गीत गए जाते है जसे झोडा, चांचरी, छपेली, बैर, तथा भगनौल एव नयोली आदि।

मंदिर की तरफ आगे बढ़ते है। ये स्थान, महाभारत में पाण्डवों के अज्ञातवास से लेकर अनेक पौराणिक धार्मिक एवं ऐतिहासिक घटनाओं से जुडा हुआ है।

यहाँ के समीप अन्य पर्यटक आकर्षण के स्थल  है वसुंधरा फोर्ट (बकासुर का किला), अब्बोत्त माउंट, रीता साहिब गुरुद्वारा, कर्न्तेश्वर मंदिर, पंच्वेश्वर मंदिर, जिनकी दुरी आप बोर्ड में देख सकते है।

पर्यटन विभाग ने इस तरह के बोर्ड लगभग हर प्रमुख पर्यटक स्थान में लगाये है, जिससे पर्यटकों को उस स्थान के बारे में थोडा बहुत जानकारी मिल जाती है।

मंदिर की सीढियों से प्रवेश कर जब आप आगे बढते है तो आपको दिशा बोर्ड मिलता है जिसमे क्रम्नुसार दर्शन करने का मार्ग बताया है, इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले गणेश मंदिर के दर्शन करते है और उसके बाद आदि शक्ति गुफा, भीम शीला, भराव मंदिर, माँ कलिका मंदिर, कलुआ बेताल मंदिर, माँ दिगाम्बारा मंदिर के दर्शन किए जाते है।

ऊपर मंदिर से सामने मैदान का द्रश्य कुछ इस तरह का दिखता है।

देवी धुरा की आराध्य देवी दिगम्बरा श्री बारही है, जो पुरे देश में जागृत बारही का दुर्लभ मंदिर है।

देवी धुर की इस आराध्य देवी आर्थात बारही देवी की मूर्ति मुख्य मंदिर में स्थित ताम्बे के संदूक में स्थित है जिसे सदैव गुप्त रखा जाता है व देवी के दर्शन का आदेश किसी को नही है।

ऐसी मान्यता है की माँ बारही में वज्र के सामान तेज है जिसे देखने मात्र से नेत्रज्योति चली जाती है इसलिए देवी को वज्र बारही भी कहा जाता है।

ये मूर्ति साल में एक बार निकलती है जिसे पुजारी द्वारा परदे के अन्दर आँखों में पट्टी बांध कर पवित्र स्नान कराया जाता है साथ ही नए परिधान धारण कराने के बाद देवी की आरती की जाती है।

इसके पश्चात डोले में शोभा यात्रा निकलती है, जिसमे सैकरो लोग सम्मलित हो हो देवी की जय जयकार करते है।

राह में खड़े लोग डोले व छत्र  में फुल, भेट,अक्षत आदि चढाते है तथा हाथ जोड़ कर नमन करते है और डोले को छुते है , डोले को छु लेना बहुत शुभ माना जाता है।

दिन में लगभग एक बजे शोभायात्रा निकलती है और 4-5 बजे मन्दिर में वापस आ जाती है।
कलि मन्दिर व देवकुल रक्षक भराव मंदिर के उपरांत गौरवी का पूर्वभिमुख प्रवेश द्वारा आता है जो संकरी  चट्टानी दरार से बना है, गुफा के प्रवेश द्वार में द्वारपाल की मूर्ति है।
शक्ति स्थल पर विशाल शिलाओ के बीच बनी गुफा में छोटा बल्लभी शैली का दुमंजिला मंदिर बना है।

यहाँ से आगे चलने पे गुफा और अधिक संकरी हो जाती है इसलिए आपको इसमें जाने के लिए बेहद सावधानी बरतनी पड़ती है गुफा के अंत में भोग कुटिया है, जिसमे पंडित देवी के भोग हेतु भोजन तैयार करते है।



यहाँ से 100 मीटर की दुरी पे भीमशिला है।

यहाँ एक के ऊपर एक 3 बड़ी शिलायें है।  शिलाओ के बीच एक लम्बी व गहरी दरार है,  ये भीम ने तलवार द्वारा काटा था और तीसरी शिला में 5 अँगुलियों के आकर के चिन्ह बने है मान्यता है की ये निशान भीम के उंगिलयों के है, भीम द्वारा ये शिला कही और से उठा यहाँ रखी गयी थी।

यहाँ बाज, देवदार, चीड और बुरांश के वृक्ष होते है, जिससे यहाँ की खुबसुरती हिमालय श्रृंखलाओं के भव्य दृश्य के साथ और भी बढ़ जाती है, यहाँ से हिमालय की लगभग 300 किलोमीटर लम्बी रेंज जिसे त्रिशूल, नंदाघुंटी, नन्दादेवी, पंचचुली, चौखम्भा आदि के साथ रूपकुंड , नर-नारायण, पर्वत, बद्रीनाथ पर्वत, नाग पर्वत एवं  पंचचुली, का बेजोड़ दृश्य दिखता हैं।
एक जगह से महान हिमालय की इतनी लम्बी श्रृंखला शायद ही किसी अन्य स्थान से दिखाई देती हो।

फ्रेंडस विडियो में  कमेंट कर के जरुर बताएं की आपको ये जानकारी कैसी लगी, विडियो शेयर करें, चैनल सब्सक्राइब करें, बेल आइकॉन में प्रेस भी करें, जिससे आने वाले वीडियोस का अलर्ट तुरंत प्राप्त हो इतना सब करने का धन्यवाद भी स्वीकार करें,

फिर मुलाकात होगी एक और नयी जानकारी के साथ, स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहे…

 

TAGGED: champawat temple devidhura, devidhura temple in champawat, places, temple to visit in devidhura, tour and Travels, tour to devidhura, tour to devidhura temple
Suneeta Pandey March 19, 2018
Share this Article
Facebook Twitter Email Print
Leave a comment

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Sher Da Hanuman
AlmoraContributorsStory

लाल बहादुर दाई उर्फ़ हनुमान…

यूँ तो दोस्तों हमारे आसपास होने वाले घटनाक्रमों के बीच कई बार ऐसा भी होता है कि जब कोई अंजान…

Sushil Tewari Sushil Tewari January 28, 2023
Ikbal bhai barbar almora
AlmoraContributorsStory

इकबाल नाई उर्फ़ बबाल भाई…

यूँ तो दोस्तों हमारे समाज में लम्बी- 2 फेंकने वालों बड़ा महत्तवपूर्ण स्थान रहा है और रहेगा.. हालाकि उन्होंने फेंकने…

Sushil Tewari Sushil Tewari December 18, 2022
Nandu Manager
AlmoraContributors

अल्मोड़ा में साह जी का त्रिशूल होटल और नंदू मैनेजर

नंदू मैनेजर... यूँ तो दोस्तों सच है कि इस दुनियाँ में बिना मेहनत मशक्कत के कुछ नहीं मिलता बावजूद इसके…

Sushil Tewari Sushil Tewari December 2, 2022
Almora to Chitai Trek
Almora

मैं आज 18 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूँ।

आज 30 नवम्बर को मैंने 17 वर्ष पूर्ण कर 18 वें वर्ष में प्रवेश किया। 2005 में मैंने आज ही…

AOL Desk AOL Desk November 30, 2022
Almora Story
AlmoraStory

अल्मोड़ा आकर एक परिवार की चमकने और डूबने की कहानी।

बादल... बेला… यों तो दोस्तों इस दुनिया में होने वाला हर लम्हा, हर चीज़ परिवर्तनशील है जो कि प्रकृति का…

Sushil Tewari Sushil Tewari November 28, 2022
Almora District Library
AlmoraAlmoraNewsUncategorized

अल्मोड़ा ज़िला लाइब्रेरी का नया स्वरूप पुस्तक प्रेमियों का दिल जीत लेगा!

शुक्रिया डी एम साहिबा... दोस्तों तकरीबन छह माह पहले जिलाधिकारी महोदया अल्मोड़ा द्वारा जो एक सराहनीय पहल राजकीय जिला पुस्तकालय…

Sushil Tewari Sushil Tewari November 22, 2022
almroa dashahra
AlmoraCultureUncategorized

दशहरा महोत्सव

हिमालय में अवस्थित अल्मोड़ा अत्यंत सुन्दर व सुरम्य पर्वतीय स्थलों में से एक है । यदि एक बार अल्मोड़ा के…

AOL Desk AOL Desk November 10, 2022
Almora

Almora Introuction

The charm of Almora does not lie in the overcrowded Mall. It lies in other places that include. Nanda Devi…

AOL Desk AOL Desk November 10, 2022
almora ka sher da
AlmoraContributorsStoryUncategorized

विशालकाय बकायन के पेड़ की डालें काटता हुआ शेरदा

हमारा शेरदा उर्फ़ शेरुवा.... यूँ तो दोस्तों अक्सर इतिहास,साहित्य अथवा सिनेमा आदि की दुनिया में कई बार हम ऐसे चरित्रों…

Sushil Tewari Sushil Tewari September 27, 2022
Hariya Pele
AlmoraUncategorized

अल्मोड़ा का पेले (हरिया), कभी फूटबाल का सितारा, अब कहाँ!

आज बात केवल एक खेल प्रतिभा की। हरिया पेले ... जो अल्मोड़ा में 90 के दशक का फूटबाल का जादूगर…

Sushil Tewari Sushil Tewari September 26, 2022

Follow US

Find US on Social Medias
Facebook Like
Youtube Subscribe
Popular
Nandu Manager
AlmoraContributors

अल्मोड़ा में साह जी का त्रिशूल होटल और नंदू मैनेजर

Sushil Tewari Sushil Tewari December 2, 2022
दशहरा महोत्सव
बाबा नीम करोली महाराज आश्रम/ मंदिर कैंची
अल्मोड़ा के प्रसिद्ध चित्रकार – श्री जी बी पंत की कुछ अनमोल कृतियाँ
मैं हूँ इस पेड़ का गवाह नंबर एक
- Advertisement -
Ad imageAd image

About

AlmoraOnline
Almora's Travel, Culture, Information, Pictures, Documentaries & Stories

Subscribe Us

On YouTube

2005 - 2023 AlmoraOnline.com All Rights Reserved. Designed by Mesh Creation

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?